Friday, August 3, 2018

Tejas fiter plen

स्वदेश निर्मित लड़ाकू विमान तेजस के नौसेना प्रोटोटाइप ने 02 अगस्त 2018 को विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर ‘डेक लैंडिंग’ परीक्षण के दौरान डेक से संपर्क बनाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की. इसके साथ ही भारत लड़ाकू विमानों की डेक लैंडिंग कराने वाले अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल हो गया.

नौसेना के प्रवक्ता ने ट्वीट किया कि एलसीए नेवी (एनपी 2) ने विमानवाहक पोत पर हुक प्रणाली से लैंडिंग के लिए गोवा में पहली उड़ान भरी.

तेजस परीक्षण के बारे में मुख्य तथ्य
•    हिन्दुस्तान ऐनोनोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने भी एक वक्तव्य जारी कर कहा कि इस सफल अभ्यास के बाद भारत डेक लैंडिंग कराने वाले दुनिया के चुनिंदा देशों अमेरिका, यूरोप, रूस और चीन की श्रेणी में शामिल हो गया.

•    कैप्टन शिवनाथ दहिया ने गोवा में नौसैनिक स्टेशन आईएनएस हंसा में तेजस का विमानवाहक पोत के डेक से सफलतापूर्वक संपर्क कराया और तुरंत फिर से उड़ान भरी.

•    इस परीक्षण का हिन्दुस्तान ऐनोनोटिक्स लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने गहन निरीक्षण किया है.
डेक लैंडिंग क्या है?
डेक लैंडिंग में विमान के पिछले हिस्से में एक हुक बंधा होता है जो विमानवाहक पोत पर उतरने के दौरान डेक पर बंधे तार में अटककर विमान की गति को चंद सेंकेंड में धीमा कर उसे रोकने में मदद करता है. इस परीक्षण के बाद अब तेजस विमान के दो नौसेना प्रोटोटाइप अगले कुछ महीनों में डेक लैंडिंग का गहन परीक्षण करेंगे.

तेजस लड़ाकू विमान
तेजस लड़ाकू विमान का निर्माण हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया गया है. यह चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. दिसम्बर 2009 में गोवा समुद्र स्तरीय उड़ान परीक्षण के दौरान, तेजस ने 1,350 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से उडा़न भरी. इस प्रकार यह हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड द्वारा स्वदेश में निर्मित पहला सुपरसॉनिक लड़ाकू विमान बन गया है. भारतीय वायुसेना की पहली तेजस यूनिट का निर्माण 01 जुलाई 2016 को किया गया, जिसका नाम ‘नम्बर 45 स्क्वाड्रन आईएएफ फ्लाइंग ड्रैगर्स’ है.

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