Wednesday, July 18, 2018

DO NOT YOU UNDERSTAND THE HISTORY ? DONT WARRY! क्या आपको इतिहास समझ में नहीं आता ?कोई बात नहीं ! HOW ARE YOU



कोई बात नहीं

हैल्लो फ्रेंड आप सब कैसे है

क्या आपको इतिहास समझ में नहीं आता? 

अगर ऐसा है तो  ये POST आपके लिए है

 दोस्तों आप सब कैसे है आप  अगर एक STUDENT है या किसी न किसी   क्षेत्र में PART TIME या FULL TIME जॉब करते है 
तो आप सब के लिए  मेरे पास बहुत है कुछ  है हमारे इस ब्लॉग पेज का उदेश्य छात्रों /और प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों  को नवीन माधयम अच्छी सामग्री उपलब्ध करावाना है जिससे वे MOBILE और COMPUTER से ही  सारी जानकारी प्राप्त कर सके , साथ ही उन्हें इस BLOG PAGE  के द्वारा विशेषज्ञो के लेख भी उपलब्ध करवाये  जायेंगे जिससे की घर  बैठे प्रतियोगिता परीक्षाओ से       सम्बंधित जानकारी प्राप्त कर सके |
                                                                                                                                                          
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 हम चाहते है की आपके आने वाले कल बेहतर हो | 
आखिर हर किसी का सपना होता है GOVERNMENT JOB KARNA क्योकि वह सुरक्षित और परंमानेन्ट होता |  

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 जितने भी ऊपर में आप प्रतियोगी परीक्षा के नाम देख है उनमे UPSC सर्वोच्य है  इसलिए UPSC के POINT OF YOU SE  चले तो RPF,CDS,RAILWAY,SSC BPSC,UPPSC जैसी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी 90% तक हो जाता है


इस आर्टिकल के द्वारा SSC,RAILWAY,CDS,RPF, UPSC,STATE SERVICE.....जैसे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी होगी                                                                              

       इतिहास से रिलेटेड विडिओ देखने के क्लिक करे 

 

 

 

आप में से बहुत से लोगो का मानना है  और किसी से कहते सुना होगा की की इतिहास बहुत उबाऊ विषय है बस तारीखे रटते  चले जाओ  और बस क्या इतिहास ख़तम '' 

 

   क्या इतिहास  के बारे में यह धारणा सही है   आज मै  आपका  कन्फूशन  दूर कर दूंगा  

| मेरा मानना है की इतिहास सबसे सुन्दर और समृद्ध विषय है अगर आप तारीखों की जाल में  फसते  है  और  \तब कहते है की इतिहास उबाऊ विषय  तो  क्षमा कीजिएगा  आपकी बात  से मै सहमत  नहीं  हूँ

 ,क्योकि आप  किसी और विषय को उठाके के देखिये जैसे  मैथ ,केमिस्ट्री फिजिक्स ,इकोनॉमिक्स इंग्लिश और अन्य विषय क्या इसमें बॉन्डिंग नहीं होता  जैसे मैथ में फिजिक्स में   केमिस्ट्री में   इंग्लिश में हमें फार्मूला और मीनिंग याद रखना पड़ता  उसी तरह इतिहस में हमें कुछ तारीखे याद रखना पड़ता है और इतिहास विषय की सबसे बड़ी बात है की एक बार याद हो गया तो वो तारीखे आपके दिमाग में अमर हो  जायेगा  क्योकि  किसी और  विषय में आप  अन्य  फार्मूला या मीनिंग जोड़ सकते है लेकिन इतिहास की तारीखे इस्थिर रहती है इतिहास की तारीखे तो बदलती नहीं  आप ये नहीं कह सकते   की  महात्मा गाँधी का जन्म २ अक्टूबर नहीं ३ अक्टूबर को हुआ था !

एक वक्त था जब इतिहासकार तारीखों की जादुई दुनिया में खोये रहते थे | कब किस राजा की ताजपोशी हुई ,  कौन सा योद्ध हुआ-कब कौन  राजा की मृत्यु हुई इन्ही तारीखों पर जोरदार बहसें चलती थी | आम समझ  से इतिहास को तारीखों का पर्याय माना जाता था |           

लेकिन इसमें कही सक नहीं की इतिहास  अलग -अलग समय पर आने वाले बदलावों के बारे में ही होता है | इसका सबंध इस बात से  है की अतीत में चीजे किस तरह  की थी  और उनमे क्या बदलाव आये है | जैसे ही हम अतीत्त  और वर्तमान  की तुलना करते है, तो समय का जिक्र करने लगते है | हम" पहले "और" बाद में " की बात करने लगते है |   

 क्या आप जानते हैं पांडुलिपि और शिलालेख में क्या अंतर है?

 रोजमर्रा की जिंदगी में हम अपने आसपास की चीजों पर हमेशा  ऐतिहासीक सवाल नहीं उठाते है हम लोग चीजों को स्वाभाविक मानकर  है हमलोग यह मानकर चलते  है

| मानो  जो कुछ भी  देख रहे है या  इस्तेमाल कर रहे हमेसा से वह हमेसा से ऐसा ही रहा होगा |

 यानि आप सुबह सो कर उठते है और  आपको एक कप  कॉफी या चाय मिल जाता है उसके बाद आप अपने दफ्तर (ऑफिस ) भी जाते होंगे कार से या बस ट्रैन या BIKE SE HAME अगर  दूसरे SHHAR JANA HOTA HAI TO HAM TRAIN YA HAWAI JAHAAJ SE JATE HAI

 

 

लेकिन  हम  सबके सामने कभी न कभी अचंभे  के क्षण आते है और कई बार हम उत्सुक हो जाते है और ऐसे सवाल पूछते है जो वाकई में ऐतिहासिक होता है 

अगर किसी वेक्ति को सड़क पर चाय या कॉफी की घुट भरते देख कर  आप इस बात पर हैरान हो सकते है  कि चाय या कॉफी पिने का चलन कब से शुरू हुआ होगा ?

  Coffee, Cafe, Cup, Saucer, Hot, Drink

                                                                                                 


  और अगर रेलगाड़ी  की खिड़की से झाँकते हुए आपके जहन में यह शवाल  उठ सकता है की रेलवे का निर्माण कब हुआ होगा सर्वप्रथम किस देश मे चला होगा /

                                    

 

 ईसी तरह सुबह-सुभग अखबार पढ़ते हुए आप यह जानने के लिये उत्सुक हो सकते है कि     जिस जमाने मे अखबार नही छपते थे,उस  जमाने मे लोगो को  किसी चीज की जानकारी कैसे मिलती थी।

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ये सारे ऐतिहासिक सवाल हमे अतीत के समय के बारे में सोचने के लिए प्रेरित कर देते है
इसीलिए मैं कहता हूँ कि समय को हमेशा तारीखो ,महीनों और साल  के पैमानें पर ही नही देखा जा सकता/

NSG क्या है ? और भारत इसमें \शामिल होना क्यो चाहता है

  परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG);ऐसे परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता देशों का एक समूह है जो कि परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए उपयोग की जा सकने वाली सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकी के निर्यात को नियंत्रित करके परमाणु हथियारों के निर्माण को रोकने की दिशा में काम कर रहा है.

यह संगठन चाहता है कि परमाणु सामग्री ऐसे देशों के हाथों में ना लगे जो कि उसे आतंकी संगठनों को उपलब्ध करा दें जिससे कि सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा उत्पन्न हो जाये. परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की स्थापना भारत द्वारा मई 1974 मेंकिये गए परमाणु परीक्षण के बाद की गयी थी. इसकी पहली बैठक नवंबर 1975 में हुई थी. वर्तमान में इस संगठन में 48 देश शामिल हैं और भारत 49वां सदस्य बनना चाहता है.
प्रारंभ में NSG की स्थापना के लिए 7 देशों की सरकारों ने पहल की थी. ये सरकारें थीं; कनाडा, जापान, फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी सोवियत संघ, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका.
यदि कोई देश NSG में शामिल होना चाहता है तो उसे NPT पर हस्ताक्षर करने होते हैं. यहाँ पर उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि भारत ने अभी तक NPT पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं लेकिन फिर भी परमाणु संपन्न देश बन गया है. यही कारण है कि कुछ देश भारत की NSG सदस्यता का विरोध कर रहे हैं.

हम आशा करते हैं कि वह दिन जल्दी आएगा जब भारत NSG में शामिल होगा और दुनिया भारत को शांतिप्रिय देश के रूप में स्वीकृति देगी. अतीत और वर्तमान की तुलना करते है तो हम समय का जिक्र करना सुरु करते है हम "पहले "और "बाद में " की तुलना करने लगते है

राष्ट्रमंडल देशो की सूचि जानने के लिए  निचे CLICK करे

परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG); के कुल 48 सदस्यों में से 44 सदस्य भारत को इस समूह में शामिल किये जाने के पक्षधर हैं. इन देशों में कुछ बड़े नाम इस प्रकार हैं;
1. संयुक्त राज्य अमेरिका
2. यूनाइटेड किंगडम
3. रूस
4. फ्रांस
5. स्विट्ज़रलैंड
6. जापान
7. जर्मनी
8. ब्राजील
9. दक्षिण अफ्रीका
10. ऑस्ट्रेलिया
11. पोलैंड
12. साइप्रस
13. मेक्सिको
14. अर्जेंटीना
15. तुर्की
NSG में भारत की दावेदारी का विरोध करने वाले देशों के नाम इस प्रकार हैं;
1. चीन
2. न्यूज़ीलैंड
3. आयरलैंड
4. ऑस्ट्रिया
इस प्रकार NSG के 48 सदस्यों में से सिर्फ 4 देश भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे हैं.
आइये अब जानते हैं कि NSG में कौन-कौन से देश शामिल हैं;
                       क्रम संख्या
                             देश
     1.
   अर्जेंटीना
     2. 
   ऑस्ट्रेलिया
     3.
   ऑस्ट्रिया
     4.
   बेलारूस
     5.
   बेल्जियम
     6.
   ब्राजील
     7.
   बुल्गारिया
     8.
   कनाडा
     9.
   चीन
     10.
   क्रोएशिया
     11.
   साइप्रस
     12.
   चेक गणतंत्र
     13.
   डेनमार्क
     14.
   एस्तोनिया
     15.
   फिनलैंड
     16.
   फ्रांस
     17.
   जर्मनी
     18.
   यूनान
     19.
   हंगरी
     20.
   आइसलैंड
     21.
   आयरलैंड
     22.
   इटली
     23.
   जापान
     24.
   कज़ाख़िस्तान
     25.
   कोरिया गणराज्य
     26.
    लातविया
     27.
   लिथुआनिया
     28.
   लक्समबर्ग
     29.
   माल्टा
     30.
   मेक्सिको
     31.
   नीदरलैंड
     32.
   न्यूजीलैंड
     33.
   नॉर्वे
     34.
   पोलैंड
     35.
   पुर्तगाल
     36.
   रोमानिया
     37.
   रूस
     38.
   सर्बिया
     39.
   स्लोवाकिया
     40.
   स्लोवेनिया
     41.
   दक्षिण अफ्रीका
     42.
   स्पेन
     43.
   स्वीडन
     44.
   स्विट्जरलैंड
     45.
   तुर्की
     46.
   यूक्रेन
     47.
   यूनाइटेड किंगडम
     48.
   संयुक्त राज्य अमेरिका
चीन, NSG में भारत के प्रवेश को इसलिए रोकना चाहता है ताकि वह एशिया महाद्वीप में अपनी दादागीरी को मजबूत करके भारत के ऊपर अपनी कूटनीतिक जीत को सिद्ध कर सके. जबकि न्यूजीलैंड, आयरलैंड और ऑस्ट्रिया जैसे अन्य शेष देशों ने कहा कि वे भारतीय प्रवेश का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि भारत ने गैर प्रसार संधि (NPT) पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं और ऐसे देशों के हाथ में परमाणु सामग्री देना विश्व समुदाय को खतरे में डालना है.
यहाँ पर एक दिलचस्प बात बताना जरूरी है कि कज़ाखस्तान, तुर्की, बेलारूस जैसे देश NSG की सदस्यता के लिए भारत और पाकिस्तान दोनों का समर्थन कर रहे हैं.
अगर भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य बन जाता है; तो भारत को विश्व के परमाणु ईंधन संपन्न देशों से बड़ी मात्रा में परमाणु ईंधन खरीदने की छूट मिल जाएगी. यदि भारत को अन्य देशों से परमाणु ईंधन आयात करने की छूट मिल जाती है तो भारत इसका प्रयोग गैर परमाणु उद्येश्यों (जैसे बिजली उत्पादन इत्यादि) के लिए करेगा जिससे आगे चलकर भारत की ऊर्जा सुरक्षा मजबूत होगीवैदिक काल प्राचीन भारतीय संस्कृति का एक काल खंड है। उस दौरान वेदों की रचना हुई थी। इस सभ्यता की जानकारी के स्रोत वेदों के आधार पर इसे वैदिक सभ्यता का नाम दिया गया। समाज पितृसत्तात्मक था। संयुक्त परिवार की प्रथा प्रचलित थी। परिवार का मुखिया 'कुलप' कहलाता था। परिवार कुल कहलाता था। कई कुल मिलकर ग्राम, कई ग्राम मिलकर विश, कई विश मिलकर जन एवं कई जन मिलकर जनपद बनते थे। वेदों के अनुसार वैदिक काल में पांच प्रकार की राज्य प्रणाली होती थी:
1. राज्य (केंद्रीय साम्राज्य): राजा द्वारा नियोजित
2. भोज्य (दक्षिणी साम्राज्य): भोज द्वारा शासित
3. स्वराज्य (पश्चिमी साम्राज्य): सर्वत द्वारा शासित
4. वैराज्य (उत्तरी साम्राज्य): विराट द्वारा शासित
5. सामराज्य (पूर्वी साम्राज्य): सम्राट द्वारा शासित
इस काल में राजाओं की शक्ति की वैधता पुजारी अथवा ब्राहमण  द्वारा बलिदान (यज्ञ) के अनुष्ठानों से बढ़ता था और इस बीच उन अधिकारियों को परिभाषित करता है जो राजा को अपने राज्य मामलों में अधीनस्थ करते थे।

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वैदिक काल के रत्निन और अधिकारी

रत्निन और अधिकारी
कार्यक्षेत्र (विवरण)
पुरोहित
मुख्य पुजारी, जिसे कभी-कभी राष्ट्रगोप के रूप में भी जाना जाता था।
सेनानी
सेनाध्यक्ष
व्रजपति
चरागाह भूमि का अधिकारी (प्रभारी)
जिवाग्रिभा
पुलिस अधिकारी
स्पासा/दूत
जासूस, जो राजा के लिए संदेशवाहक का कार्य करता था।
ग्रामानी
गांव प्रमुख
कुलपति
परिवार का मुखिया
मध्यमासी
विवादों पर मध्यस्थ करने वाला
भागादुघा
राजस्व समाहर्ता
संग्रिहित्री
कोषाध्यक्ष
महिषी
मुख्य रानी
सुता
सारथी और न्यायालय मंत्री
गोविन्कर्ताना
खेल और वन का रखवाला
पलगाला
संदेशवाहक
क्षत्री
राजमहल का बडा अफसर
अक्षवापा
लेखापाल
अथापति
मुख्य न्यायाधीश
तक्षण
बढ़ई
राजा लोगों की सहमति और अनुमोदन के आधार पर शासन किया करता था। जनजाति की रक्षा करना, राजा का प्रधान कर्तव्य था जिसमें उपरोक्त रत्नियों और अधिकारियों की सहायक की भूमिका होती थी। प्रशासनिक इकाई को पांच भागों में बांटी गयी थी- कुल, ग्राम, विश, जन औरराष्ट्र। भारता, मत्स्य, यदु और पुरु जैसे ऋग वैदिक काल के जनजातीय साम्राज्य थे। इस काल खंड में नियमित राजस्व प्रणाली नहीं थी लेकिन राज्य की अर्थव्यवस्था का आधार स्वैच्छिक कर जिसको बाली कहा जाता था और युद्ध में जीता गया धन हुआ करता था।इतिहास के अंतर्गत हम जिस विषय का अध्ययन करते हैं उसमें अब तक घटित घटनाओं या उससे संबंध रखनेवाली घटनाओं का कालक्रमानुसार वर्णन होता है। दूसरे शब्दों में मानव की विशिष्ट घटनाओं का नाम ही इतिहास है। या फिर प्राचीनता से नवीनता की ओर आने वाली, मानवजाति से संबंधित घटनाओं का वर्णन इतिहास है।इन घटनाओं व ऐतिहासिक साक्ष्यों को तथ्य के आधार पर प्रमाणित किया जाता है। इस लेख में हम सामान्य जागरूकता के लिए 1885 से 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की घटनाओं का कालक्रम दे रहे हैं।

1885 से 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की घटनाओं का कालक्रम

1885 ईस्वी

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन बम्बई (मुंबई) में 28 दिसंबर को आयोजित हुआ था जिसके प्रथम सत्र में 72 प्रतिनिधि उपस्थित थे।
2. लॉर्ड रैंडोल्फ चर्चिल भारत के सचिव बने।

1905 ईस्वी

1. बंगाल विभाजन के निर्णय की घोषणा 19 जुलाई 1905 को भारत के तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड कर्ज़न द्वारा की गयी थी।

1906 ईस्वी

1. ब्रिटिश भारत ने आधिकारिक तौर पर भारतीय मानक समय (Indian Standard Time) को अपनाया था।
2. दक्षिण अफ्रीका में अहिंसा आंदोलन को चिह्नित करने के लिए महात्मा गांधी ने शब्द ‘सत्याग्रह’ को प्रतीक रूप में इस्तेमाल किया था।
3. बंगाल के विभाजन ने सांप्रदायिक विभाजन को भी जन्म दे दिया। 30 दिसंबर, 1906 को ढाका के नवाब आगा खां और नवाब मोहसिन-उल-मुल्क  के नेतृत्व में भारतीय मुस्लिमों के अधिकारों की रक्षा के लिए मुस्लिम लीग का गठन किया गया।

1907 ईस्वी

1. कांग्रेस का सूरत अधिवेशन 1907 ई. में सूरत में सम्पन्न हुआ। ऐतिहासिक दृष्टि से यह अधिवेशन अति महत्त्वपूर्ण था। गरम दल तथा नरम दल के आपसी मतभेदों के कारण इस अधिवेशन में कांग्रेस दो भागों में विभाजित हो गई।
2. लाला लाजपत राय और अजीत सिंह को पंजाब की कैनाल कॉलोनी में दंगों के बाद मांडले भेज दिया गया था।

1908 ईस्वी

1. 8 जून, 1908 को खुदीराम बोसे को कैनेडी तथा उनकी बेटी के हत्या के जुर्म में अदालत में पेश किया गया था और 13 जून को उन्हें मौत की सजा सुनाई गई. इसके बाद 11 अगस्त, 1908 को उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया गया।
2. देशद्रोह के आरोप में तिलक को छह साल की कारावास की सजा सुनाई गई।

1909 ईस्वी

1. मॉर्ले-मिंटो सुधार या भारतीय परिषद अधिनियम 1909: इस अधिनियम को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया था जिसके द्वारा ब्रिटिश भारत के शासन में भारतीयों की हिस्सेदारी अल्प मात्रा में बढ़ायी गयी थी। इसे इस नाम से इसलिये जाना जाता है क्योंकि इस समय मार्ले भारत के सचिव एवं लार्ड मिन्टो, वायसराय थे। इन्हीं दोनों के नाम पर इसे मार्ले-मिन्टो सुधारों की संज्ञा दी गयी। सरकार द्वारा इन सुधारों को प्रस्तुत करने के पीछे मुख्य दो घटनाये थीं। अक्टूबर 1906 में आगा खां के नेतृत्व में एक मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल वायसराय लार्ड मिन्टो से मिला और मांग की कि मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली की व्यवस्था की जाए तथा मुसलमानों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाये।

1911 ईस्वी

1. भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया गया था

1912 ईस्वी

1. दिल्ली के चांदनी चौक में लॉर्ड हार्डिंगे पर रास बिहारी बोस और सच्चिंद्र सान्याल ने बम फेंका था।

1913 ईस्वी

1. ब्रिटिश शासन को खत्म करने के लिए भारत में विद्रोह का आयोजन करने के लिए सैन फ्रांसिस्को में गदर पार्टी का गठन किया गया था।

1914 ईस्वी

1. प्रथम विश्वयुद्ध की शुरुआत 28 जुलाई 1914 ई. में हुई। यह युद्ध 4 वर्ष तक चला जिसमे 37 देशो ने भाग लिया था। यह महायुद्ध यूरोप, एशिया व अफ़्रीका तीन महाद्वीपों और समुंदर, धरती और आकाश में लड़ा गया। इसमें भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) तथा इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे विश्व युद्ध कहते हैं। इस युद्ध के ख़त्म होते-होते चार बड़े साम्राज्य रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी (हैप्सबर्ग) और उस्मानिया ढह गए। यूरोप की सीमाएँ फिर से निर्धारित हुई और अमेरिका एक 'महाशक्ति ' बन कर उभरा।

1915 ईस्वी

1. दक्षिण अफ्रीका से महात्मा गांधी की वापसी

1916 ईस्वी

1. गांधी जी ने अहमदाबाद में साबरमती आश्रम का निर्माण किया था।
2. होम रूल आन्दोलन, एक राष्ट्रीय राजनीतिक संगठन था जिसकी स्थापना 1916 में बाल गंगाधर तिलक द्वारा भारत में स्वशासन के लिए राष्ट्रीय मांग का नेतृत्व करने के लिए "होम रूल" के नाम के साथ की गई थी।
3. एनी बेसेंट द्वारा एक और होमरूल लीग शुरूवात कि गयी।
4. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना मदन मोहन मालवीय द्वारा की गयी

1917 ईस्वी

1. गांधीजी के नेतृत्व में बिहार के चम्पारण जिले में सन् 1917-18 में एक सत्याग्रह हुआ। इसे चम्पारण सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। गांधीजी के नेतृत्व में भारत में किया गया यह पहला सत्याग्रह था।
2. मोंटेग, भारत के राज्य सचिव, ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश सरकार का लक्ष्य जिम्मेदार सरकार की शुरूआत है।

1918 ईस्वी

1. पहला अखिल भारतीय शोषित वर्ग सम्मेलन आयोजित किया गया था।
2. रोलेट (राजद्रोह) समिति अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। रोलेट बिल 16 फरवरी, 1919 को पेश किया था।

1919 ईस्वी

1. एंटी-रौलट सत्याग्रह: एम.के. गांधी ने रौलट बिल के खिलाफ अभियान शुरू किया और सत्याग्रह सभा की स्थापना 24 फरवरी, 1919 को बॉम्बे में की। इस आंदोलन के दौरान, एम.के. गांधी ने प्रसिद्ध उद्धरण दिया "यह मेरा दृढ़ विश्वास है कि हम केवल पीड़ितों के माध्यम से मुक्ति प्राप्त करेंगे, अंग्रेजों से हम पर सुधार नहीं किए जाने वाले सुधारों के द्वारा हम क्रूरता, हम आत्मा बल का उपयोग करेंगे"।
2. जलियांवाला बाग त्रासदी और अमृतसर नरसंहार
3. मोंटेग चेम्सफोर्ड सुधार या भारत सरकार अधिनियम 1919 की घोषणा

1920 ईस्वी

1. लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में बम्बई (मुंबई) में आयोजित अखिल भारतीय व्यापार संघ कांग्रेस (एआईटीयूसी) की पहली बैठक सम्पंन्य हुआ था"।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) असहयोग प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।

1921 ईस्वी

1. इसी वर्ष प्रिंस की स्थायी सलाहकार परिषद का उद्घाटन; राज्य परिषद और विधान सभा की परिषद का उद्घाटन हुआ था।
2. वेल्स के राजकुमार (राजा एडवर्ड VIII) बम्बई (मुंबई), भारत में आगमन हुआ था और इनके आगमन पर व्यापक आंदोलन हुआ था जिसकी वजह से खाली सड़कों पर उनका स्वागत किया गया था।
3. हिंदू समाज में अस्पृश्यता के खिलाफ संघर्ष, वाइकम सत्याग्रह पर चर्चा के लिए टी के माधवन, तिरुनेलवेली में महात्मा गांधी से मिले।

1922 ईस्वी

1. चौरी चौरा की घटना: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के पास का एक कस्बा है जहाँ 4 फ़रवरी 1922 को भारतीयों ने बिट्रिश सरकार की एक पुलिस चौकी को आग लगा दी थी जिससे उसमें छुपे हुए 22 पुलिस कर्मचारी जिन्दा जल के मर गए थे। इस घटना को चौरीचौरा काण्ड के नाम से जाना जाता है। इसके परिणामस्वरूप गांधीजी ने कहा था कि हिंसा होने के कारण असहयोग आन्दोलन उपयुक्त नहीं रह गया है और उसे वापस ले लिया था। चौरी चौरा की इस घटना से महात्मा गाँधी द्वारा चलाये गये असहयोग आन्दोलन को आघात पहुँचा, जिसके कारण उन्हें असहयोग आन्दोलन को स्थागित करना पड़ा, जो बारदोली, गुजरात से शुरू किया जाने वाला था।
2. दूसरा मोप्ला विद्रोह, मालाबार तट, केरल
3. रबींद्रनाथ टैगोर ने विश्व भारती विश्वविद्यालय स्थापना की थी।

1923 ईस्वी

1. मोतीलाल नेहरू ने स्वराजवादी पार्टीकी स्थापना की थी।

1925 ईस्वी

1. देशबंधु चित्तरंजन दास की मौत
2. क्रांतिकारियों द्वारा काकोरी साजिश का मामला

1927 ईस्वी

1. साइमन कमीशन की नियुक्ति

1928 ईस्वी

1. भारत के एक नए संविधान के लिए नेहरू रिपोर्ट

1929 ईस्वी

1. सभी दलों मुस्लिम सम्मेलन जिन्ना के नेतृत्व में "चौदह अंक" तैयार करता है।
2. लोक सुरक्षा विधेयक के खिलाफ विरोध करने के लिए केंद्रीय विधानसभा में भगत सिंह और बट्टूकेश्वर दत्त के बम फेंका।
3. जतिन दास की 64 दिनों के उपवास के बाद मृत्यु।
4. लॉर्ड इरविन की घोषणा कि भारत में ब्रिटिश नीति का लक्ष्य वर्चस्व स्थिति का अनुदान था।
5. जवाहरलाल नेहरू के तहत कांग्रेस का लाहौर सत्र भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता (पूर्ण स्वराज) के लक्ष्य को अपनाया गया था।

1930 ईस्वी

1. जवाहरलाल नेहरू, भारत के तिरंगा को लाहौर में रवि के किनारों पर फहराया था।
2. पहले स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।
3. कांग्रेस की कार्यकारिणी समिति साबरमती में मिलती है और सविनय अवज्ञा आंदोलन को दांडी मार्च के साथ पारित कर देती है।
महात्मा गांधी दांडी मार्च के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरूआत की थी।
5. भारत में भावी संवैधानिक व्यवस्था के लिए साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए लंदन में पहला गोलमेज सम्मेलन शुरू हुआ था।

1931 ईस्वी

1. गांधी-इरविन समझौते और सविनय अवज्ञा आंदोलन का निलंबित
2. भगत सिंह, सुख देव और राज गुरू (लाहौर मामले में) को फांसी दी गयी थी।
3. द्वितीय राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस शुरू होता है महात्मा गांधी द्वितीय गोलमेज़ सम्मलेन में भाग लेने के लिए महात्मा गाँधी लंदन पहुंचे थे।

1932 ईस्वी

1. ब्रिटिश प्रधान मंत्री रामसे मैक डोनाल्ड ने अलग-अलग मतदाताओं की जगह हरिजनों को अलग मतदाताओं को अलग-अलग वोट देने के लिए सांप्रदायिक पुरस्कार की घोषणा की।
2. गांधी ने उपवास करके अंग्रेजो से विरोध जताया था
3. पूना समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके द्वारा हरिजन अलग मतदाताओं के स्थान पर आरक्षित सीटें प्राप्त करें।
4. तीसरा गोलमेज सम्मेलन लंदन से शुरू हुआ था।

1935 ईस्वी

1. भारत सरकार अधिनियम पारित हुआ था।

1937 ईस्वी

1. 1935 के अधिनियम के तहत भारत में आयोजित चुनाव।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सात प्रान्तों में मंत्रियों का गठन किया था।

1938 ईस्वी

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 19 से 22 फरवरी 1938 के दौरान हरिपुरा कांग्रेस सत्र की अध्यक्षता सुभाष चंद्र बोस ने की थी। सरदार वल्लभभाई पटेल ने सम्मेलन के लिए हरिपुरा का चयन किया था। 51 बुलॉक्सचार्यो को इस अवसर के लिए सजाया गया था। प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस ने हरिपुरा सत्र के लिए महात्मा गांधी के अनुरोध पर सात पोस्टर तैयार किए।

1939 ईस्वी

1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का त्रिपुरी सत्र।
2. सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षता से इस्तीफा दिया।
3. द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ था। वाइसराय ने घोषणा की कि भारत भी युद्ध में शामिल होगा।
4. ब्रिटिश सरकार की युद्ध नीति के खिलाफ प्रांतों में कांग्रेस मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था।
5. मुस्लिम लीग ने कांग्रेस मंत्रालयों के त्यागपत्र के उपलक्ष में उद्धार दिवसमनाया था।

1940 ईस्वी

1. मुस्लिम लीग का लाहौर सत्र पाकिस्तान के संकल्प को प्रस्तुत किया था।
2. वाइसरॉय लिनलिथगो ने अगस्त ऑफ़र की घोषणा की।
3. कांग्रेस ने व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की

1941 ईस्वी

1. रबींद्रनाथ टैगोर की मृत्यु
2. सुभाष चंद्र बोस भारत से जर्मनी को भाग निकले।

1942 ईस्वी

1. चर्चिल ने क्रिप्स मिशन की घोषणा की
2. क्रेप्स मिशन के प्रस्तावों को कांग्रेस ने खारिज कर दिया था।
3. भारत छोड़ो का संकल्प एआईसीसी के बॉम्बे सत्र द्वारा पारित किया गया, जिसने पूरे भारत में एक ऐतिहासिक सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।
4. जवाहरलाल नेहरू की बेटी इंदिरा एक पारसी वकील और विद्रोही, फिरोज गांधी से उनके पिता की इच्छाओं के विरुद्ध विवाह कर लिया था।
5. भारतीय नेता, मोहनदास गांधी को ब्रिटिश सेना द्वारा मुंबई में गिरफ्तार किया गया था।
6. नए विवाहित जोड़े इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी को भारत छोड़ो आंदोलन में अपनी भागीदारी के लिए गिरफ्तार कर लिए गए थे।
7. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सन 1942 में भारत को अंग्रेजों के कब्जे से स्वतन्त्र कराने के लिये आजाद हिन्द फौज या इन्डियन नेशनल आर्मी (INA) नामक सशस्त्र सेना का संगठन किया गया।

1943 ईस्वी

1. सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व पर कहा और सिंगापुर में 'नि: शुल्क भारत की अस्थायी सरकार' के गठन की घोषणा की।
2. मुस्लिम लीग के कराची सत्र 'विभाजन और छोड़ो' के नारे को ग्रहण किया था।
3. कोलकाता के बंदरगाह पर जापानी हमले।
4. कुलाल कोनवार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस गोलघाट के अध्यक्ष, भारत छोड़ो आंदोलन के पहले शहीद।

1944 ईस्वी

1. वावेल ने भारतीय राजनीतिक नेताओं की कार्यकारी परिषद बनाने के लिए शिमला सम्मेलन का आह्वाहन किया था।

1946 ईस्वी

1. ब्रिटिश और भारतीय वायु सेना इकाइयों की रॉयल एयर फोर्स  ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ विद्रोह किया था।
2. ब्रिटिश प्रधान मंत्री अटली ने कैबिनेट मिशन की घोषणा की थी।
3. वावेल ने अंतरिम सरकार बनाने के लिए नेहरू को आमंत्रित किया था।
4. संविधान सभा का पहला सत्र इसी वर्ष हुआ था।
5. नेहरू कांग्रेस पार्टी के नेता चुने गए।
6. भारत के लिए संविधान सभा पहली बार मिली थी।

1947 ईस्वी

1. ब्रिटिश प्रधान मंत्री एटली ने घोषणा कि ब्रिटिश सरकार जून 1948 तक भारत छोड़ देगी।
2. लॉर्ड माउंटबेटन, पिछले ब्रिटिश वासीराय और भारत के गवर्नर जनरल की शपथ ली।
3. भारत के विभाजन के लिए माउंटबेटन योजना की घोषणा की गई थी।
4. भारतीय स्वतंत्रता विधेयक को हाउस ऑफ कॉमन्स में पेश किया गया और 18 जुलाई, 1947 को ब्रिटिश संसद ने पारित किया।
5. कश्मीर में भारत और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर बलों के बीच युद्ध हुआ था।
6. जूनागढ़ भारत के डोमिनियन में शामिल हो गया था।
7. एयर इंडिया ने पहली बार का अंतरराष्ट्रीय उडान भरा था।
8. भारतीयों को आजादी मिली
9. जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधान मंत्री बने और लाल किले पर भारतीय तिरंगा फहराए, जो प्रतीकात्मक रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के अंत को दर्शाते हैं।

1885 से 1947 तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के ऊपर की समय-समय पर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान होने वाली घटनाओं की घटनाक्रम के बारे में पाठकों के ज्ञान में वृद्धि होगी।“आधुनिक भारत का इतिहास” की अध्ययन सामग्री के अंतर्गत हमने न केवल स्कूल जाने वाले विद्यार्थियों बल्कि ग्रेजुएशन की पढाई कर रहे विद्यार्थियों की जरूरतों को भी पूरा करने के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों की आवश्यकता के अनुसार अध्ययन सामग्री देने का प्रयास किया है|
हमने “आधुनिक भारत के इतिहास” की अध्ययन सामग्री को आपकी सुविधा के लिए घटनाओं के क्रम के अनुसार 5 भांगों में बांटा है| हमारा प्रयास इस बात पर भी है कि हम आपको घटनाओं का विवरण उनके कारणों और परिणामों को बताकर प्रस्तुत करें ताकि आप यह समझ सकें कि कोई घटना क्यों घटी और उसके क्या परिणाम निकले जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन को प्रभावित् किया|
अतः इस विषय के महत्व को ध्यान में रखते हुए  EDUCTIONAL MODE  आपको इस विषय से सम्बंधित पूरी अध्ययन सामग्री एक ही क्लिक पर उपलब्ध करा रहा है|

"आधुनिक भारत का इतिहास" सम्पूर्ण अध्ययन सामग्री
1. आधुनिक भारत : मुगल साम्राज्य का पतन और मराठों का उदय
                1.1 मुग़ल उत्तराधिकारी
                1.2 शिवाजी
                1.3 मराठा प्रशासन
                1.4 मराठा के अधीन पेशवा 
                1.5 शिवाजी के उत्तराधिकारी
2. आधुनिक भारत: क्षेत्रीय राज्यों का उदय और यूरोपीय शक्ति
                2.1 पंजाब
                2.2 राजपूत
                2.3 मैसूर
                2.4 अवध
                2.5 बंगाल
                2.6 हैदराबाद
                2.7 जाट
                2.8 पुर्तगाली उपनिवेश की स्थापना
                2.9 डच उपनिवेश की स्थापना
                2.10 फ्रांसीसी उपनिवेश की स्थापना
                2.11 अंग्रेज उपनिवेश की स्थापना
3. आधुनिक भारत :ब्रिटिश सर्वोच्चता और अधिनियम
               3.1 बक्सर की लड़ाई
               3.2 सहायक संधि
               3.3 व्यपगत का सिद्धांत
               3.4 रेग्युलेटिंग एक्ट, 1773
               3.5 पिट्स इंडिया एक्ट 1784
               3.6 चार्टर अधिनियम,1793
               3.7 1813 का चार्टर अधिनियम
               3.8 1833 ई. का चार्टर अधिनियम
               3.9 1853 ई. का चार्टर अधिनियम
               3.10 1858 ई. का भारत सरकार अधिनियम
               3.11 1861 का अधिनियम
               3.12 1892 ई. का अधिनियम
               3.13 1909 ई. का भारतीय परिषद् अधिनियम
               3.14 भारत सरकार अधिनियम - 1935
               3.15 मोंटेंग्यु-चेम्सफोर्ड सुधार अर्थात भारत सरकार अधिनियम-1919
4. आधुनिक भारत:18वीं सदी के विद्रोह और सुधार
               4.1 रामकृष्ण और विवेकानंद
               4.2 ईश्वरचंद विद्यासागर
               4.3 डेजेरियो और यंग बंगाल
               4.4 राममोहन रॉय और ब्रह्म समाज
               4.5 1857 का विद्रोह (कारण और असफलताए)
               4.6 ब्रिटिश शासन में सामाजिक अधिनियम
               4.7 दक्षिण भारत में सुधार
               4.8 पश्चिमी भारत में सुधार आन्दोलन
               4.9 सैय्यद अहमद खान और अलीगढ़ आन्दोलन
               4.10 मुस्लिम सुधार आन्दोलन
               4.11 थिओसोफिकल समाज
5. आधुनिक भारत: भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन
               5.1 शिक्षा का विकास
               5.2 भारतीय प्रेस का विकास
               5.3 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
               5.4 जलियाँवाला बाग
               5.5 उदारवादी
               5.6 उग्रपंथ और बंगाल विभाजन
               5.7 मुस्लिम लीग की स्थापना
               5.8 रौलट विरोधी सत्याग्रह
               5.9 स्वदेशी आन्दोलन
               5.10 अराजक और रिवोल्यूशनरी अपराध अधिनियम, 1919
               5.11 खिलाफ़त और असहयोग आन्दोलन
               5.12 स्वराज दल
               5.13 मुडीमैन समिति (1924)
               5.14 बटलर समिति (1927 ई.)
               5.15 साइमन कमीशन
               5.16 नेहरू रिपोर्ट
               5.17 साम्प्रदायिक अधिनिर्णय और पूना समझौता
               5.18 अगस्त प्रस्ताव
               5.19 व्यक्तिगत सत्याग्रह
               5.20 क्रिप्स मिशन
               5.21 भारत छोड़ो आन्दोलन
               5.22 सुभाषचंद्र बोस और आई. एन. ए. (आजाद हिन्द फ़ौज)
               5.23 राजगोपालाचारी फार्मूला (1944 ई.)
               5.24 देसाई-लियाकत प्रस्ताव (AD 1945)
               5.28 बेवल योजना और शिमला सम्मलेन
               5.29 कैबिनेट मिशन प्लान
               5.30 अंतरिम सरकार
               5.31 संवैधानिक सभा
               5.32 माउंटबेटन योजना और भारत के विभाजन  
केवल तथ्यों के रटने से किसी भी परीक्षा में सफलता प्राप्त करना संभव नहीं है इसलिए हमने प्रतिभागियों के स्वयं मूल्यांकन के लिए आधुनिक भारत के इतिहास” के लगभग 500 से ज्यादा प्रश्नों और उत्तरों का सेट तैयार किया है जो कि  IAS, PSC और SSC  जैसी अन्य परीक्षाओं के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा |
इससे आपको न केवल इस बात का पता चलेगा कि इस परीक्षाओं में किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं बल्कि यह भी पता चलेगा कि आपकी तैयारी किस स्तर की है |
यदि आपको यह अध्ययन सामग्री उपयोगी लगती है तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक इत्यादि पर अवश्य शेयर करें | आपके मूल्यवान सुझाओं का हमेशा स्वागत है |

भारतीय रिजर्व बैंक जल्द ही 100 रुपये के नये नोट जारी करेगा. यह नोट भी महात्मा गांधी सीरीज़ का ही होगा जिस पर वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल के हस्ताक्षर होंगे. यह नोट बैंगनी रंग का होगा.


भारतीय रिज़र्व बैंक की ओर से जारी बयान के मुताबिक इस नए नोट के पिछले हिस्से पर गुजरात के पाटन जिले में स्थित 'रानी की वाव' का चित्र होगा जो भारत की विरासत को प्रदर्शित करेगा. इसका आकार 66 mm × 142 mm का होगा.

नोट का अगला भाग

•    छोटे अक्षरों में 'RBI', 'भारत', 'India' और '100' लिखा हुआ है.

•    सुरक्षा के लिहाज से इसमें सिक्योरिटी थ्रेड भी लगाई गई है जिसमें कलर शिफ्ट भी है.

•    नोट पर अंकों में ही 100 लिखा हुआ है.

•    देवनागरी में भी 100 अंक लिखा हुआ है.

•    महात्मा गांधी की तस्वीर मध्य में लगी हुई है.

•    छोटे शब्द जैसे आरबीआई, भारत, इंडिया और 100 लिखे गए हैं.

•    नोट को टेढ़ा करने में उसके धागे का हरा रंग नीला हो जाता है. इस धागे में भारत और RBI लिखा हुआ है.

•    आरबीआई के गवर्नर का गारंटी देने वाला कथन महात्मा गांधी की तस्वीर के दाहिने ओर लिखा हुआ है.

•    नोट के दाहिने हिस्से में अशोक स्तम्भ है.

Rs 100 new note

नोट का पिछला भाग


•    नोट प्रकाशन वर्ष अंकित है.

•    स्वच्छ भारत का लोगो तथा नारा.

•    भाषा का पैनल यथावत रखा गया है.

•    रानी की वाव का चित्र है.

•    देवनागरी लिपी में 100 अंक लिखा गया है.
रानी की वाव क्या है?
"रानी की वाव" गुजरात के पाटन ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध बावड़ी (सीढ़ीदार कुआं) है जिसे यूनेस्को ने वर्ष 2014 में विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किया था. रानी की वाव भूमिगत जल संसाधन और जल संग्रह प्रणाली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जो भारतीय महाद्वीप में में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण का बेहतरीन उदहारण है. सात मंज़िला इस वाव में मारू-गुर्जर स्‍थापत्‍य शैली का सुन्‍दर उपयोग किया गया है जो जल संग्रह की तकनीक, बारीकियों और अनुपातों की क्षमता की जटिलता को दर्शाता है.

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