सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त 2018 को निर्देश जारी किया कि घरेलू झगड़े, दहेज हत्या के मामले में पति के रिश्तेदारों को पुख्ता सबूत बिना नामजद नहीं किया जाना चाहिए.
जस्टिस एसए बोबड़े और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ने कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि बिना वजह सबको परेशानी न हो. रिश्तेदारों का नाम अपराध में स्पष्ट रूप से शामिल हुए बगैर केवल सर्वग्राही आधार पर नहीं दिया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट फैसले के मुख्य बिंदु
• सुप्रीम कोर्ट ने व्यवस्था दी है कि वैवाहिक विवाद और दहेज हत्या जैसे मामलों में पति के रिश्तेदारों के खिलाफ महज साधारण आरोपों पर केस नहीं चलाया जाना चाहिए.
• सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पति के दूर के रिश्तेदारों पर आरोपों को लेकर अदालतों को सचेत रहना होगा.
• यदि ऐसे मामलों में पति के रिश्तेदारों के खिलाफ अपराध में शामिल होने के स्पष्ट आरोप न हों, तब तक उनके खिलाफ केस नहीं चलाया जाना चाहिए.
• जस्टिस एस. ए़ बोबडे और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने ऐसे ही एक केस में पति के मामा के खिलाफ चल रहे दहेज उत्पीड़न, बच्चे के अपहरण की साजिश रचने जैसे मामले खारिज कर दिए.
पृष्ठभूमि
• घरेलू झगड़े के एक मामले में महिला ने अपने पति के मामा पर भी साजिश रचने का आरोप लगाया था. इसके खिलाफ आरोपी के रिश्तेदार ने हैदराबाद हाईकोर्ट में अपील दायर की, लेकिन कोर्ट ने जनवरी 2016 में अपील खारिज कर दी. तब उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की.
• अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया आरोपी के मामा के खिलाफ महिला के खिलाफ क्रूरता, साजिश रचने, धोखाधड़ी और अपहरण के आरोप साबित नहीं होते. घरेलू झगड़े, दहेज हत्या जैसे मामलों में सुनवाई के दौरान अदालतों को सतर्क रहना चाहिए. पति के रिश्तेदारों को तब तक घसीटा नहीं जाना चाहिए, जब तक उनके जुर्म में शामिल होना स्पष्ट न हो जाए.
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