Wednesday, August 15, 2018

वैदिक साहित्य विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं।

वैदिक साहित्य विश्व का सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं। ऐतिहासिक रूप से प्राचीन भारत और आर्य जाति के बारे जानने के लिए इससे अच्छा कोई श्रोत नहीं है। संस्कृत भाषा के प्राचीन रूप को लेकर भी इनका साहित्यिक महत्व बना हुआ है।
1. निम्नलिखित में से किस वैदिक साहित्य में वर्णा प्रणाली पर चर्चा हुई थी?
A. ऋग्वेद
B. सामवेदा
C. यजुर्वेद
D. अथर्ववेद
Ans: A
व्याख्या: ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इस वेद के कई सूक्तों में विभिन्न वैदिक देवताओं की स्तुति करने वाले मंत्र हैं। यद्यपि इसमें अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्तोत्रों की प्रधानता है। इसमें कुल 10 मण्डल हैं और उनमें 1028 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। पुरुषसूक्त ऋग्वेद संहिता के दसवें मण्डल का एक प्रमुख सूक्त यानि मंत्र संग्रह (10.90) है, जिसमें एक विराट पुरुष की चर्चा हुई है और उसके अंगों का वर्णन है। इसलिए, A सही विकल्प है।
2. गायत्री मंत्र का उल्लेख किस वेद में है?
A. ऋग्वेद
B. सामवेदा
C. यजुर्वेद
D. अथर्ववेद
Ans: A
व्याख्या: ऋग्वेद सनातन धर्म का सबसे आरंभिक स्रोत है। इस वेद के कई सूक्तों में विभिन्न वैदिक देवताओं की स्तुति करने वाले मंत्र हैं। यद्यपि इसमें अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्तोत्रों की प्रधानता है। इसमें कुल 10 मण्डल हैं और उनमें 1028 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। इन मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ बड़े हैं। गायत्री मन्त्र भी तीसरे मंडल में वर्णित है। इसलिए, A सही विकल्प है।
3. निम्नलिखित का मिलान करे:
     Set I
a. ऋग्वेद
b. सामवेदा
c. यजुर्वेद
d. अथर्ववेद
    Set II
1. आयुर्वेद
2. अधवर्यु
3. उदगत्री
4. होत्रा या होत्री
Code:
    a   b    c    d
A. 1   2    3    4
B. 3   4    2    3
C. 2   3    4    1
D. 4   3    2    1
Ans: D
व्याख्या: सही मिलान नीचे दिया गया है-
ऋग्वेद- होत्रा या होत्री
सामवेदा- उदगत्री
यजुर्वेद- अधवर्यु
अथर्ववेद- आयुर्वेद
इसलिए, D सही विकल्प है।
4. निम्नलिखित में से कौन सा वैदिक साहित्य बलिदान सूत्रों का संग्रह है?
A. ऋग्वेद
B. सामवेदा
C. यजुर्वेद
D. अथर्ववेद
Ans: D
व्याख्या: अथर्ववेद दैनिक जीवन से जुड़े तांत्रिक धार्मिक सरोकारों को व्यक्त करता है, इसका स्वर ऋग्वेद के उस अधिक पुरोहिती स्वर से भिन्न है, जो महान् देवों को महिमामंडित करता है और सोम के प्रभाव में कवियों की उत्प्रेरित दृष्टि का वर्णन करता है। इसलिए, D सही विकल्प है।
5. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें।
I. वानप्रस्थाश्रम में संसार-त्याग के उपरांत अरण्य में अध्ययन होने के कारण भी इन्हें 'आरण्यक' कहा गया।
II. आरण्यकों में ऐतरेय आरण्यक, शांखायन्त आरण्यक, बृहदारण्यक, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक तथा तवलकार आरण्यक मुख्य हैं।
उपरोक्त में से कौन सा कथन आरण्यक के सन्दर्भ में सही है?
Code:
A. Only I
B. Only II
C. Both I and II
D. Neither I nor II
Ans: C
व्याख्या: ब्राह्मण ग्रन्थ के जो भाग अरण्य में पठनीय हैं, उन्हें 'आरण्यक' कहा गया या यों कहें कि वेद का वह भाग, जिसमें यज्ञानुष्ठान-पद्धति, याज्ञिक मन्त्र, पदार्थ एवं फलादि में आध्यात्मिकता का संकेत दिया गया, वे 'आरण्यक' हैं। वानप्रस्थाश्रम में संसार-त्याग के उपरांत अरण्य में अध्ययन होने के कारण भी इन्हें 'आरण्यक' कहा गया। आरण्यकों में ऐतरेय आरण्यक, शांखायन्त आरण्यक, बृहदारण्यक, मैत्रायणी उपनिषद् आरण्यक तथा तवलकार आरण्यक (इसे जैमिनीयोपनिषद् ब्राह्मण भी कहते हैं) मुख्य हैं। इसलिए, C सही विकल्प है।
6. Assertion (A): विद्वानों ने 'उपनिषद' शब्द की व्युत्पत्ति 'उप'+'नि'+'षद' के रूप में मानी है।
Reason (R): उपनिषद का अर्थ है कि जो ज्ञान व्यवधान-रहित होकर निकट आये, जो ज्ञान विशिष्ट और सम्पूर्ण हो तथा जो ज्ञान सच्चा हो, वह निश्चित रूप से उपनिषद ज्ञान कहलाता है।
Code:
A. A और R दोनों सही हैं और R, A की सही व्याख्या है।
B. A और R दोनों सत्य हैं और R, A की सही व्याख्या नहीं है।
C. A सही है लेकिन R ग़लत है।
D. A और R दोनों सही हैं
Ans: A
व्याख्या: उपनिषद शब्द की व्युत्पत्ति उप (निकट), नि (नीचे), और षद (बैठो) से है। इसका अर्थ है कि जो ज्ञान व्यवधान-रहित होकर निकट आये, जो ज्ञान विशिष्ट और सम्पूर्ण हो तथा जो ज्ञान सच्चा हो, वह निश्चित रूप से उपनिषद ज्ञान कहलाता है। इसलिए, A सही विकल्प है।
7. निम्नलिखित का मिलान करे:
     Set I
a. शिक्षा
b. कल्प
c. निरुक्त
d. छंद
    Set II
1. छंदोबद्ध और काव्य रचना के नियम
2. व्युत्पत्ति विज्ञान (शब्दों की उत्पत्ति)
3. अनुष्ठान और समारोह
4. उच्चारण के विज्ञान
Code:
    a   b    c    d
A. 1   2    3    4
B. 3   4    2    3
C. 2   3    4    1
D. 4   3    2    1
Ans: D
व्याख्या: सही मिलान नीचे दिया गया है-
वेदांग हिन्दू धर्म ग्रन्थ हैं। शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष, छन्द और निरूक्त - ये छ: वेदांग है।
शिक्षा - इसमें वेद मन्त्रों के उच्चारण करने की विधि बताई गई है।
कल्प - वेदों के किस मन्त्र का प्रयोग किस कर्म में करना चाहिये, इसका कथन किया गया है। इसकी तीन शाखायें हैं- श्रौतसूत्र, गृह्यसूत्र और धर्मसूत्र।
व्याकरण - इससे प्रकृति और प्रत्यय आदि के योग से शब्दों की सिद्धि और उदात्त, अनुदात्त तथा स्वरित स्वरों की स्थिति का बोध होता है।
निरुक्त - वेदों में जिन शब्दों का प्रयोग जिन-जिन अर्थों में किया गया है, उनके उन-उन अर्थों का निश्चयात्मक रूप से उल्लेख निरूक्त में किया गया है।
ज्योतिष - इससे वैदिक यज्ञों और अनुष्ठानों का समय ज्ञात होता है। यहाँ ज्योतिष से मतलब `वेदांग ज्योतिष´ से है।
छन्द - वेदों में प्रयुक्त गायत्री, उष्णिक आदि छन्दों की रचना का ज्ञान छन्दशास्त्र से होता है।
इसलिए, D सही विकल्प है।
8. निम्नलिखित में से कौन सा वैदिक साहित्य 'पैर के पास बैठनेको संदर्भित करता है?
A. वेदांग
B. उपनिषद्
C. आरण्यक
D. ब्राह्मण-ग्रन्थ
Ans: B
व्याख्या: उपनिषद् शब्द का साधारण अर्थ है - ‘समीप उपवेशन’ या 'समीप बैठना (ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के लिए शिष्य का गुरु के पास बैठना)। यह शब्द ‘उप’, ‘नि’ उपसर्ग तथा, ‘सद्’ धातु से निष्पन्न हुआ है। सद् धातु के तीन अर्थ हैं: विवरण-नाश होना; गति-पाना या जानना तथा अवसादन-शिथिल होना। उपनिषद् में ऋषि और शिष्य के बीच बहुत सुन्दर और गूढ संवाद है जो पाठक को वेद के मर्म तक पहुंचाता है। इसलिए, B सही विकल्प है।
9. निम्नलिखित कौन से वैदिक साहित्य में वैदिक भजनउनके अनुप्रयोगों और उनकी उत्पत्ति की कहानियों के अर्थों के बारे में विवरण मिलता है?
A. वेदांग
B. उपनिषद्
C. आरण्यक
D. ब्राह्मण-ग्रन्थ
Ans: D
व्याख्या: वेदों की सरल व्याख्या हेतु ब्राह्मण ग्रन्थों की रचना गद्य में की गई थी। ब्रह्म का अर्थ यज्ञ है। ब्राह्मण ग्रन्थों में सर्वथा यज्ञों की वैज्ञानिक, अधिभौतिक तथा अध्यात्मिक मीमांसा प्रस्तुत की गयी है। यह ग्रंथ अधिकतर गद्य में लिखे हुए हैं। इनमें उत्तरकालीन समाज तथा संस्कृति के सम्बन्ध का ज्ञान प्राप्त होता है। इसलिए, D सही विकल्प है।
10. निम्नलिखित में से कौन सही जोड़ी नहीं है?
A. ऐतरेयब्राह्मण- यजुर्वेद
B जैमिनीय (या तावलकर) ब्राह्मण - सामवेद
C. तैत्तिरीयब्राह्मण और शतपथ ब्राह्मण - यजुर्वेद
D. गोपथब्राह्मण - अथर्ववेद
Ans: A
व्याख्या: वेदों की सरल व्याख्या हेतु ब्राह्मण ग्रन्थों की रचना गद्य में की गई थी। ब्रह्म का अर्थ यज्ञ है। अतः यज्ञ के विषयों का प्रतिपादन करने वाले ग्रन्थ ब्राह्मण कहलाते हैं।
वेदसम्बन्धित ब्राह्मण
ऋग्वेद: ऐतरेय ब्राह्मण, शांखायन या कौषीतकि ब्राह्मण
यजुर्वेद:शतपथ ब्राह्मण
यजुर्वेद: तैत्तिरीय ब्राह्मण
सामवेद: पंचविंश या ताण्ड्य ब्राह्मण, षडविंश ब्राह्मण, सामविधान ब्राह्मण, वंश ब्राह्मण, मंत्र ब्राह्मण, जैमिनीय ब्राह्मण
अथर्ववेद: गोपथ ब्राह्मण
इसलिए, A सही विकल्प है।

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