Saturday, August 18, 2018

"Operation Gibraltar"



पाकिस्तान का भारत के विरुद्ध "ऑपरेशन जिब्राल्टर" क्या था?




    भारत और पाकिस्तान के बीच  अब तक 4 बड़े युद्ध हो रहे हैं  और गर्व की बात यह है कि इन चारों युद्धों में पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा था। भारत और पाकिस्तान के बीच पहला युद्ध 1 9 48 में कश्मीर में कब्जे को लिया गया था, इसके बाद 1 9 65 की लड़ाई, फिर 1 9 71 का बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और सबसे बाद में 1 999 में कारगिल युद्ध हुआ था।
    इस लेख में हम पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ चला गया ऑपरेशन जिब्राल्टर के बारे में पढ़ा।
    दरअसल भारत के मुसलमानों में यह मामला है कि कश्मीर में  हजरत दरगाह में पैगंबर मुहम्मद का "बाल" रखा हुआ है , इस  बाल के गायब होने की खबर से कश्मीरियों में रोष था  और भी रोश का लाभ उठाने के लिए पाक ने उनको भारत के विरुद्ध भड़काने के लिए अपनी यात्रा 5000 सैनिकों को कश्मीर के लोगों के साथ सादा भेष में रहने के लिए भेजा गया था। ये सैनिक आम नागरिक बनकर कश्मीरियों के साथ रहने लगे थे और उनको भारत के खिलाफ जिहाद छेड़ने के लिए भड़का रहे थे।  इस ऑपरेशन को पाक सेना का मेजर जनरल अख्तर हुसैन रिजवी कमांड कर रहा था। 
    दरअसल पाकिस्तान ऑपरेशन जिब्राल्टर में माध्यम से कश्मीर में अशांति फैलाकर उस पर कब्जा करना था था।
    पाकिस्तान ने ऑपरेशन जिब्राल्टर नाम ही क्यों रखा था?
    जिब्राल्टर, स्पेन के पास एक छोटा सा टापू है।  जब यूरोप जीतने के उद्देश्य से अरबी सेना पश्चिम की ओर चली तो जिब्राल्टर ही उनके पड़ाव बना था निकलकर उन्होंने पूरे स्पेन पर जीत दर्ज की थी। मिल्ट्री ऑपरेशन का नाम ज्रिबाल्टर रखना बताता है कि  पाकिस्तान को देखा गया था अगर एक बार जिब्राल्टर (कश्मीर) पर वह जीत दर्ज कर ली तो पूरे स्पेन रूप भारत पर भी अधिकार कर लेगा।
    स्ट्रेट जिब्राल्टर
    सूत्रों के मुताबिक नेहरू  ऑपरेशन जिब्राल्टर की प्लानिंग 1 9 50 के आस पास से ही शुरू कर दी थी  लेकिन वह इसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए सही मौके का इंतजार कर रहा था। इस ऑपरेशन को उस समय पाकिस्तान के विदेश मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो का समर्थन प्राप्त हुआ था। इस ऑपरेशन के लिए पाकिस्तान ने 40 हजार सैनिकों को विशेष रूप से ट्रेनिंग दी थी और मौत मकान "घुसपैठ से हमला" करना था।
    सेवानिवृत्त पाकिस्तानी जनरल अख्तर हुसैन मलिक के शब्दों में, हम इस ऑपरेशन के माध्यम से "कश्मीर समस्या हमेशा के लिए खत्म करना चाहते थे, इस काम को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान ने पहले जमीनी कार्य, ख़ुफिया जानकारी जूटाने के लिए और घुसपैठ करने के लिए सीमा की पहचान करने के लिए पहले  "ऑपरेशन नुसरत"  भी चलाया था।
    अगस्त 1 9 65 के पहले सप्ताह में,  (कुछ सूत्रों ने इसे 24 जुलाई माना); 30 हजार से 40 हजार के बीच की संख्या में पाकिस्तानी सैनिक  (जो आजाद कश्मीर रेजिमेंटल फोर्स -अब आजाद कश्मीर रेजिमेंट), ने भारतीय सीमा में घुसना शुरू कर दिया था  इनका को कश्मीर के चार ऊंचाई वाले लोग पीरपंजाल, गुलमर्ग, उरी और बारामुला पर कब्जा करना था  तो अगर भारी लड़ाई छिद्र तो पाकिस्तान की सेना ऊपर बैठकर भारत की सेना के दांत खट्टे कर। इन सैनिकों को पाकिस्तान ने  कहा "जिब्राल्टर फोर्स" सीक्रेट नाम दिया गया था।
    ऑपरेशन जिब्राल्टर बुरी तरह से विफल हुआ हुआ क्योंकि आम कश्मीरियों ने खुद भारतीय सेना को सीमा पार से पंजाबी बोलने वाले सैनिकों की जानकारी दी थी। स्पेशल फोर्स पैरा कमांडो को पाकिस्तानी घुसपैठियों को खोज कर मारने या पकड़ने का जिम्मा मिला था। पैरा कमांडो को एयर लिफ्ट करने की जिम्मेदारी एयर फोर्स को दी गई थी। भारत के जाबांज सैनिकों ने बहुत बड़ी संख्या में घुसपैथी को पकड़ लिया लेकिन पाकिस्तान ने भारी तोपों से गोला बारी शुरू कर दी थी। इस प्रकार यह ऑपरेशन जिब्राल्टर 1 9 65 के भारत-पाक युद्ध की वजह बना था।
    इंडिया पीक युद्ध 1 9 65
    (लाहौर में खड़े भारत के जाबांज सैनिक)
    हालाँकि 1 9 65 का भारत-पाक युद्ध केवल 17 दिन ही चला गया,  यह युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से टैंकों के माध्यम से लड़ा गया सबसे बाद युद्ध था। इस युद्ध में भारत के लोग संपादित करें पाकिस्तान को इतनी बुरी तरह खदेड़ा था कि  पाकिस्तान के सैनिक 20 टैंकों को चलती हालत में छोड़कर भाग गए थे  और भारत की सेना लाहौर के ठीक बाहर तक पहुंच थी। लेकिन इस युद्ध की समाप्ति के लिए पूर्व प्रधानमंत्र और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के बीच  ताशकंद समझौता हुआ था जिसमें भारत ने पाकिस्तान को उसके जीते हुए इलाके वापस लौटा दिया था।
    उम्मीद है कि ऑपरेशन जिब्राल्टर के बारे में दी गई यह जानकारी आप रोचक लगी इच्छा

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